अच्छा अपनी भाषा-बोली में आपने कितनी पुरानी कहानी या किसी गीत को सुना है? 40, 50, 60 साल...शायद इतना ही ना। ...और मैं कहूं कि मैंने अभी-अभी पूरे 90 साल पुराने गढ़वाली-कुमाउंनी कहानी और गाने की रिकॉर्डिंग सुनी है तो? यह सच है।
इसके लिए अंग्रेजों को शुक्रिया कहना होगा। सिविल सेवा के अपने अधिकारियों को भारतीय बोलियों और भाषाओं से रू-ब-रू करवाने के लिए उन्होंने ये 1919 से 1929 के बीच इन गाने और कहानियों की रिकॉर्डिंग की थी।
सारी रिकॉर्डिंग ग्रामोफोन से की गई है। तब ग्रामोफोन से साढ़े तीन मिनट की ही रिकॉर्डिंग हो पाती थी। इसलिए सभी रिकॉर्डिंग इतने ही समय की है।
यूनिवर्सिटी ऑफ़ शिकागो की डिजिटल साउथ एशिया लाइब्रेरी ने इन रिकॉर्डिंग को पहली बार नेट पर शेयर किया है। गजब का खजाना है यह। पूरी 97 भारतीय भाषाओं और बोलियों के गीत इसमें मौजूद हैं। मजे की बात यह कि आप इसे डाउनलोड भी कर सकते हैं।
जानते हैं यह आइडिया किसका था?... भाषाविद जॉर्ज ग्रियर्सन का। बहुत बहुत शुक्रिया ग्रियर्सन साहब।...चलिए आपको ज्यादा इंतजार नहीं करवाता। नीचे उन गढ़वाली कुमाउंनी गानों के लिंक दे रहा हूं। झट क्लिक कर आप पट इन्हें सुन सकते हैं। और हां अपना कॉमेंट देना ना भूलिएगा।
आलसी चूहिया की कहानी गढ़वाली में
फिजूलखर्च औलाद की कहानी गढ़वाली में
कुमाउंनी गीत
आलसी बेटे की कहानी कुमाउंनी में
और वेबसाइट का पता है- http://dsal.uchicago.edu/lsi/
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
4 comments:
phli baar aapkey blog pe aaya hun achcha laga or khushi hui......
link dene ke lie dhanyawad.
bahut badhiya, shukriya is jaankari ke liye
बढ़िया सार्थक .....
सच मन में तो अपनी ही भाषा में की गयी बात बैठती हैं..
विजयादशमी की हार्दिक शुभकामनायें
Post a Comment